Tuesday 5 December 2023

मैं हिमालय बोल रहा हूँ

 मैं हिमालय बोल रहा हूँ

पहाड़ों की ऊँचाईयों से घिरा हुआ, समृद्धि और शांति का आदान-प्रदान करने वाला, मैं हिमालय हूँ। मेरी ऊँचाइयों में छुपी हुई अनगिनत कहानियाँ, धरोहरों का खजाना और अद्वितीय सौंदर्य हैं। मैं वहाँ से बोल रहा हूँ, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और आत्मा की शांति मिलती है।

मेरी ऊँचाइयों पर बर्फबारी का राज होता है, जिसे देखकर स्वर्ग की भूमि कहा जाता है। यहाँ के शिखरों से नीचे दुनिया की गहरी खाईयों की ओर जाने वाला मेरा धुंधला सा स्वरूप हर किसी को मोहित कर देता है।

मैं नदियों का संगम हूँ, जहाँ गंगा, यमुना, और सरस्वती जैसी पवित्र नदियाँ मिलती हैं। इन नदियों की धारा मुझसे गिरती है और यहाँ के लोगों के लिए जीवन का स्रोत बनती है। मैं उन नदियों के साथ बोल रहा हूँ, जो नहीं सिर्फ भौतिक स्वास्थ्य का संरक्षण करती हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करती हैं।

मेरी गोदी में हजारों वन्यजनों की जड़ेँ छुपी हैं, जो मेरी जीवंत जीवनशैली को दर्शाती हैं। यहाँ वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए गए हैं। मैं उन जीवों के साथ बोल रहा हूँ, जो अपने स्वाभाविक हाथों में इस प्राकृतिक सौंदर्य का संरक्षण कर रहे हैं।

मैं भगवान की धरा हूँ, जहाँ शिव-पार्वती, विष्णु-लक्ष्मी, और ब्रह्मा-सरस्वती जैसी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से यह सभी भूमि वासिनों के लिए सुरक्षित हैं। मैं उन देवी-देवताओं के साथ बोल रहा हूँ, जो इस भूमि को स्वर्ग बनाने के लिए यहाँ आते हैं।

मेरी ऊँचाइयों में स्थित हिमालयी गुरुकुलों में विद्या और तप का संदेश होता है। यहाँ के ऋषिमुनियों की तपस्या ने मुझे आत्मा के साथ मिला दिया है और इस भूमि को एक आध्यात्मिक केंद्र बनाया है। मैं उन ऋषिमुनियों के साथ बोल रहा हूँ, जो ध्यान और आत्मा के साथ